व्यक्तिगत करदाताओं के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई हैं। इसके बाद विलम्ब शुल्क के साथ 31 दिसंबर तक अपना रिटर्न फाइल कर सकेंगे। आयकर से सरकार को देश की वित्तीय स्थिति का सही आकलन करने में मदद मिलती है और वह आवश्यक विकास कार्यों के लिए संसाधन जुटा सकती है।
आयकर की नई एवं पुरानी व्यवस्था
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए व्यक्तिगत करदाता को नई और पुरानी व्यवस्था में से अपने अनुकूल कर प्रणाली का चयन करना चाहिए। आम तौर पर जिस व्यक्ति की कुल राशि 7 लाख रुपये सालाना तक है, वह नई व्यवस्था चुनकर अपना पूरा कर बचा सकता है।
किसी भी व्यक्ति को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले नई और पुरानी दोनों व्यवस्था के तहत टैक्स की गणना करनी चाहिए। और हमें वह प्रणाली चुननी चाहिए जिसमें कर की बचत हो रही हो और उसी के अनुसार अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना चाहिए।
नई कर व्यवस्था में धारा 87A के तहत 25,000 रुपये की छूट मिलती है, जिसके कारण 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को आयकर नहीं देना पड़ता है। पुरानी कर प्रणाली में यह छूट 12,500 रुपये हैं , जिसके कारण 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पुरानी कर प्रणाली में कर नहीं देना पड़ता है। जिन करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को चुना है, उन्हें पुरानी कर व्यवस्था में कुछ उपलब्ध कटौतियां और छूट जैसे धारा 80सी, धारा 80डी, आदि की छूट नहीं मिलती है।
वेतन वाले लोगों को हर साल नई और पुरानी टैक्स प्रणाली में से किसी एक को चुनने की आजादी होती है। लेकिन अगर व्यापार या अन्य विषयों से कमाई करने वाले लोग किसी साल अपनी टैक्स प्रणाली में बदलाव करते हैं, तो उन्हें अगले 5 साल तक उसी टैक्स प्रणाली के तहत अपना रिटर्न दाखिल करना होगा। वेतन से आने वाले व्यक्तियों को दोनो ही कर व्यवस्था में 50000/- का स्टेंडर्ड डिडक्शन मिलता हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 से नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट कर व्यवस्था रखी गई है। अगर किसी व्यक्ति को पुरानी व्यवस्था से अपना आयकर रिटर्न फाइल करना है तो उसे पहले फॉर्म 10-IEA फाइल करना होगा। किसी भी कर व्यवस्था का चुनाव करने से पहले अपने कर सलाहकार से अवश्य राय लें।